... helping you be all that God made you to be, because He plans on shining His light into this world through you.

Berni - ceo, Christianityworks

अपने विश्वास को ना त्यागें।

We're glad you like it!

Enjoying the content? You can save this to your favorites by logging in to your account.

Register or Login

Add to Favourites

Hebrews 10:32-36 परन्तु उन पिछले दिनों को स्मरण करो, जिन में तुम ज्योति पाकर दु:खों के बड़े संघर्ष में स्थिर रहे। 33कभी–कभी तो यों कि तुम निन्दा और क्लेश सहते हुए तमाशा बने, और कभी यों कि तुम उनके साझी हुए जिनकी दुर्दशा की जाती थी। 34क्योंकि तुम कैदियों के दु:ख में भी दु:खी हुए, और अपनी संपत्ति भी आनन्द से लुटने दी; यह जानकर कि तुम्हारे पास एक और भी उत्तम और सर्वदा ठहरनेवाली संपत्ति है। 35इसलिये अपना हियाव न छोड़ो क्योंकि उसका प्रतिफल बड़ा है। 36क्योंकि तुम्हें धीरज धरना आवश्यक है, ताकि परमेश्‍वर की इच्छा को पूरी करके तुम प्रतिज्ञा का फल पाओ।

Listen to the radio broadcast of

अपने विश्वास को ना त्यागें।


Download audio file

आत्मविश्वास हमारे जीवन में एक शक्तिशाली शक्ति हो सकता है, बशर्ते कि हम अपने विश्वास को सही चीजों में रखें। इस समय आप की जो परिस्थितियाँ हैं, उनके चलते, क्या  मैं आपसे पूछ सकता हूं कि आप कितने आश्वस्त हैं?

यदि आप यीशु में विश्वास करते हैं, तो मेरा अनुमान है कि, शायद बहुत पहले जब आपने उसे अपने जीवन में स्वीकार किया था, आपके पास एक बड़ा उत्साह था, उस पर एक बड़ा विश्वास था। आप यीशु के साथ यात्रा करने के लिए उत्सुक थे।

लेकिन फिर, धीरे धीरे, जीवन की वास्तविकताएं सामने आने लगीं। बस उन्हें पूरा करने का दैनिक दबाव धीरे धीरे आपके आत्मविश्वास को खत्म करने लगा। संक्षेप में, यीशु में आपका विश्वास कम होने लगा  … क्या मैं सही हूँ?

अच्छी बात यह है कि इसमें कुछ भी नया नहीं है। आप अकेले नहीं हैं और मुझे विश्वास है कि आज परमेश्वर अपनी आत्मा और उसके वचन के द्वारा, अपने विश्वास को आपके दिल में वापस लाने जा रहा है; और वह आपको वह सब देगा जिसकी आपको आवश्यकता है। क्या आप तैयार हैं?

इब्रानियों 10:32-36 परन्तु उन पिछले दिनों को स्मरण करो, जिन में तुम ज्योति पाकर दु:खों के बड़े संघर्ष में स्थिर रहे। 33कभी–कभी तो यों कि तुम निन्दा और क्लेश सहते हुए तमाशा बने, और कभी यों कि तुम उनके साझी हुए जिनकी दुर्दशा की जाती थी। 34क्योंकि तुम कैदियों के दु:ख में भी दु:खी हुए, और अपनी संपत्ति भी आनन्द से लुटने दी; यह जानकर कि तुम्हारे पास एक और भी उत्तम और सर्वदा ठहरनेवाली संपत्ति है। 35इसलिये अपना हियाव न छोड़ो क्योंकि उसका प्रतिफल बड़ा है। 36क्योंकि तुम्हें धीरज धरना आवश्यक है, ताकि परमेश्‍वर की इच्छा को पूरी करके तुम प्रतिज्ञा का फल पाओ।

पवित्र आत्मा की सामर्थ के द्वारा मैं आप से कहता हूं, कि अपना हियाव न छोड़ो क्योंकि उसका प्रतिफल बड़ा है। 

यह उसका ताज़ा वचन है। आज … आपके लिए… ।